भोजपुरी डेस्क।किस भी चीज़ में ध्यान लगाने के लिए दिये जाने वाले निर्धारित समय में हो रही चिंताजनक कटौती और दिनों-दिन कम होते लोगों के अटेंशन स्पैन के इस अजीबोगरीब दौर में दर्शकों को ढाई-तीन घंटे तक किसी फ़ीचर फ़िल्म के ज़रिए बांधे रखना कोई मामूली बात नहीं है. मगर इस कसौटी पर पूरी तरह से खरी उतरती है आस्था और पुनर्जन्म की अनोखी दास्तां बयां करने वाली और बड़े ही दिलचस्प तरीके से बनाई गई फ़िल्म ‘लव यू शंकर’.
‘लव यू शंकर’ की कहानी महज़ सबके प्रिय भगवान शिव की आराधना के इर्द-गिर्द बुनी गई कोई साधारण कहानी नहीं है. इस फ़िल्म में महादेव की भक्ति के बहाने बनारस की दिव्यता, भव्यता, शिव भक्तों की धार्मिकता के रंग और बनारस के सैकड़ों सालों के गौरवपूर्ण इतिहास की झलक भी देखने को मिलती है
फ़िल्म की कहानी 10 साल के शिवांश द्वारा अपने पिछले जन्म में महादेव के भक्त रूद्र होने के एहसास और फिर पिछले जन्म की अपनी हक़ीक़त को संपूर्ण रूप से जानने के लिए उसके बनारस आने से जुड़ी हुई है. बनारस में अपनी पत्नी गीता के साथ रहने वाले रूद्र को भोलेनाथ का अनन्य भक्त के रूप में दिखाया गया है जिसकी हत्या छल और प्रपंच में डूबे एक बाबा द्वारा कर दी जाती है. लेकिन फिर विदेश में रहने वाला बालक शिवांश किस तरह से अपने अभिभावकों के साथ बनारस आकर अपनी जड़ों की ओर लौटता है और कैसे वो सिद्धू से सिद्धेश्वर महाराज बने अपने हत्यारे का पता लगाता है, इसे बड़े ही दिलचस्प तरीके से निर्देशक राजीव एस. रूईया ने बड़े पर्दे पर पेश करने की कोशिश की है.