#पिथौरागढ़ के ललित शौर्य को मिला राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मान, बाल साहित्य के क्षेत्र में रहा अतुलनीय योगदान

Lalit Shourya, Kavi Ranjan Sen Gupta National award :– उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ निवासी प्रसिद्ध बाल साहित्यकार इंजी. ललित शौर्य को भोपाल में बीते गुरुवार कवि रंजन सेन गुप्ता राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मान से सम्मानित किया गया। बाल कल्याण व बाल साहित्य शोध संस्थान द्वारा 9 मई को उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। बाल साहित्यकार ललित शौर्य ने बताया कि भोपाल मानस भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से साहित्यकारों ने शिरकत की थी। संस्थान के निदेशक महेश सक्सेना, अटल बिहारी बाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. खीम सिंह डहेरिया, साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोरे, रामायण केंद्र के अध्यक्ष डॉ. राजेश श्रीवास्तव, शिक्षाविद डॉ. उषा खरे, बाल साहित्यकार नीना सिंह सोलंकी ने संयुक्त रूप से ललित शौर्य को दुसाला, श्रीफल, स्मृति चिह्न, प्रमाण पत्र व नगद धनराशि देकर सम्मानित किया।

बाल साहित्य के क्षेत्र में रहा अतुलनीय योगदान

बताते चलें कि ललित शौर्य लंबे समय से बाल साहित्य लेखन में सक्रिय हैं। उनकी एक दर्जन बाल साहित्य की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी, तमिल, कन्नड़, तेलगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, उड़िया, उर्दू, गुरुमुखी, कुमाउंनी, गढ़वाली समेत अनेक भाषाओं में हो चुका है। उनकी रचनाएं देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। इतना ही नहीं उनकी रचनाएं यूएस और कनाडा तक में प्रकाशित हो चुकी हैं।उनका मोबाइल नहीं, पुस्तक दो अभियान भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहा। शौर्य की पुस्तकें दादाजी की चौपाल, गुलदार दगड़िया, बाल तरंग, कोरोना वॉरियर्स और स्वच्छता के सिपाही बच्चों के बीच लोकप्रिय हैं।

मोबाइल वाली पीढ़ी को समझना चाहते है पुस्तकों का महत्व

ललित शौर्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़कर हिंदी की सेवा में निरंतर कार्यरत रहते हैं। इस के साथ ही वे भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश मंत्री का दायित्व भी निभा रहे हैं। यही नहीं ललित शौर्य अंतरराष्ट्रीय संस्था हिंदी साहित्य परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। ललित शौर्य ने बताया कि उनका उद्देश्य मोबाइल वाली पीढ़ी को पुस्तकें उपलब्ध कराना है। साथ ही जो बच्चे साहित्य पढ़ने से विमुख हो चुके हैं, ललित उन्हें अच्छे साहित्य को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। इसके लिए वह लोगों को शादी, जन्मदिन व सालगिरह आदि अवसरों पर गरीब बच्चों को बाल साहित्य वितरित करने की सलाह देते हैं। इस अभियान से जुड़ कर कई लोगों द्वारा सैकड़ों बच्चों तक बाल साहित्य भी पहुंचाया जा चुका है।

बताते चलें कि शौर्य को इससे पूर्व भी सारस्वत सम्मान, हिदी भूषण सम्मान, धुव्र सम्मान, साहित्य सृजन सम्मान जैसे कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं। हाल ही में भोपाल में ललित शौर्य को राष्ट्रीय सम्मान मिलने की खबर से जनपद के साहित्यकारों में खुशी की लहर है।

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