कॉमेडियन और मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला वाराणसी लोकसभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा, क्योंकि उनका नामांकन ख़ारिज हो गया.
श्याम रंगीला ने पर्चा ख़ारिज होने के बाद एक समाचार चैनल से कहा कि उन्हें बताया गया है कि उन्होंने नामांकन के दौरान ली जाने वाली शपथ पूरी नहीं की थी, जिस वजह से उनका नामांकन रद्द हुआ है.
हालांकि, उन्होंने ये भी दावा किया कि वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने पूरी प्रक्रिया के तहत सारे दस्तावेज़ जमा कराए.
इस लेख में जानेंगे कि चुनाव के लिए प्रत्याशियों का नामांकन कैसे दाखिल होता है और किसी उम्मीदवार का पर्चा किन कारणों से ख़ारिज होता है.रिप्रजे़ंटेशन ऑफ़ पीपल एक्ट, 1951 के प्रावधानों के तहत कोई भी शख़्स, जिसका नाम वोटर लिस्ट में हो, वह किसी भी चुनावी क्षेत्र से कुछ ज़रूरी योग्यताओं के आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाख़िल कर सकता है
कैसे दाख़िल होता है नामांकन?
रिप्रेंज़ेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 के तहत चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है.
प्रत्याशी या उनके प्रस्तावक को चुनाव आयोग द्वारा तय की गई नामांकन की आख़िरी तारीख तक अपना पर्चा रिटर्निंग ऑफ़िसर या फिर असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफ़िसर को सौंपना होता है.
प्रस्तावक वह हो सकता है जो उस क्षेत्र के मतदाता हो, जहाँ से प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
अगर किसी मान्य राजनीतिक पार्टी का प्रत्याशी नामांकन दाखिल करता है तो उन्हें केवल एक प्रस्तावक की ज़रूरत है. लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर उस क्षेत्र के 10 मतदाताओं के हस्ताक्षर की ज़रूरत पड़ती है.
आरक्षित चुनावी क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपने नामांकन पत्र में ये बताना अनिवार्य है कि वे अनुसूचित जाति या जनजाति से हैं.
नामांकन फॉर्म के साथ उम्मीदवार को ज़िला निर्वाचन अधिकारी को ज़मानत राशि देनी होती है जो पहले से तय होती है.
मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों को 25 हज़ार और विधानसभा चुनाव के लिए 10 हज़ार रुपये ज़मानत राशि जमा करनी होती है.
लेकिन एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशियों के लिए ये राशि आधी होती है. इसके साथ ही उम्मीदवार को ये बताना होता है कि वे किस पार्टी के चुनावी चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे.
निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना के साथ जारी कुछ फ़्री सिंबल में से भी किसी एक को चुन सकते हैं.
हलफ़नामे में उम्मीदवार को अपनी आय-व्यय, पैन-आधार जैसा पूरा ब्योरा देना होता है. साथ ही अपने पति/पत्नी और आश्रित बच्चों, किसी तरह के वित्तीय देनदारी आदि के बारे में भी जानकारी देनी होती है.
उम्मीदवारों के पास कितने हथियार हैं, कितने ज़ेवर हैं और शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी प्रत्याशियों को बतानी होती है.
अगर उम्मीदवार पर किसी तरह का आपराधिक मुक़दमा है, जो इसके बारे में भी चुनावी हलफ़नामे में बताना होता है.
हालांकि, अगर किसी शख़्स को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो, या उसे कम से कम दो साल की सज़ा हुई हो तो वह चुनाव नहीं लड़ सकते.
नामांकन दाखिल करने के बाद रिटर्निंग ऑफ़िसर रसीद देते हैं.
कोई नेता अधिकतम दो सीटों से लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.