इलेक्ट्रॉनिंग वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और वोटर वेरिफियेबिल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी याचिकाओं को ख़ारिज किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव करवाने और वीवीपैट के साथ 100 फ़ीसदी मिलान करने की याचिका को ख़ारिज किया है.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर पीएम मोदी ने कहा, ”इंडी गठबंधन के हर नेता ने ईवीएम को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने इनको गहरा झटका दिया है. कोर्ट ने साफ कह दिया है कि बैलेट पेपर वाला पुराना दौर वापस लौटकर नहीं आएगा.”
इससे पहले फ़ैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ”हमने दो निर्देश जारी किए हैं. पहला निर्देश ये कि सिंबल के लोड होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उस यूनिट को सील किया जाए. दूसरा ये कि सिंबल स्टोर यूनिट को कम से कम 45 दिन के लिए रखा जाए.”वीवीपैट स्लिप पर पार्टी का चुनाव चिह्न और उम्मीदवार का नाम छापने के लिए सिंबल लोडिंग यूनिट का इस्तेमाल होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा- लोकतंत्र सामंजस्य बनाए रखने के लिए होता है और आंख मूंदकर चुनाव की प्रक्रिया पर भरोसा ना करने से बिना कारण शक पैदा हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वेरिफिकेशन के दौरान ये पाया गया कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई है तो चुनाव आयोग उम्मीदवारों को उनकी फ़ीस लौटाएगा.
चुनाव के नतीजे घोषित होने के 7 दिन के भीतर ईवीएम के माइक्रोकंट्रोल के वेरिफिकेशन के लिए उम्मीदवार चुनाव आयोग से गुज़ारिश कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें एक तय फ़ीस देनी होती है.
चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों की शिकायत पर चुनाव आयोग ईवीएम निर्माता को ईवीएम के माइक्रोचिप के वेरिफिकेशन के लिए कह सकता है.
कोर्ट के फ़ैसले के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ”हम लोगों का ये कहना था कि ये ईवीएम जो है, इनमें एक ऐसी मेमरी होती है, जिससे छेड़छाड़ की जा सकती है. इसलिए ये ज़रूरी है कि वीवीपैट की जांच करनी चाहिए. जो पर्ची निकलती है, उसे बैलेट बॉक्स में डालकर मिलान करना चाहिए.”
भूषण ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिकाओं को ख़ारिज किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग ये जांच करे, सारे बैलेट पेपर पर हम बार कोड डाल दें तो उसकी मशीन के ज़रिए गिनती हो सकती है या नहीं.”