Tajmahal Chamber || 1934 में आखिरी बार खोले गए थे ताज महल के वो 22 कमरे, जानिए क्यों रहते हैं बंद?

Tajmahal Chamber ||  भारत में ऐसे मंदिरों या मस्जिदों को लेकर कई विवाद हैं। ताजमहल अब मुद्दा बन गया है। लंबे समय से एक पक्ष ने इसे हिंदुओं का मंदिर बताया है, जबकि दूसरे इसे शिवमंदिर और कुछ इसे तेजोमहालय बताते आ रहे हैं।

Tajmahal Chamber ||  भारत में ऐसे मंदिरों या मस्जिदों को लेकर कई विवाद हैं। ताजमहल अब मुद्दा बन गया है। लंबे समय से एक पक्ष ने इसे हिंदुओं का मंदिर बताया है, जबकि दूसरे इसे शिवमंदिर और कुछ इसे तेजोमहालय बताते आ रहे हैं। दायर याचिका में कहा गया है कि ताजमहल में दो दर्जन कमरों को खोला जाए। इससे पता चल सकता है कि किसी देवी देवता की मूर्ती या शिलालेख इनके अंदर है या नहीं। ताजमहल के इन गुप्त कमरों के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं।

दुनिया के सात अजूबों में से एक आगरा का ताज महल बेहद खूबसूरत है। इतिहास के अनुसार सफेद संगमरमर से बना यह स्मारक मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी मुमताज की याद में बनवाया था। वहीं, अब इस ताज का दीदार करने के लिए हर साल देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लाखों लोग आते हैं।  हालांकि, ताजमहल अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपने 22 बंद कमरों की वजह से भी चर्चा में रहता है। यहां तक की साल 2022 में इन बंद कमरों की जांच कराने की मांग अदालत से की जा चुकी है।

ये 22 कमरे ताज महल के बेसमेंट का हिस्सा हैं। यह मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे है जिसका दीदार अब तक किसी ने नहीं किया है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, ताज महल के ये कमरे कई दशकों से बंद हैं और इन कमरों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था। 1934 में इन कमरों को केवल निरीक्षण के लिए खोला गया था। इसके बाद इन्हें बंद कर दिया गया।  इतिहासकारों के मुताबिक, ताज महल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए तहखाने को बंद किया गया है।

ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कमरे बने हुए हैं उसे मार्बल की सहायता से बनाया गया है।  इन कमरों को बंद करने के पीछे कई रिसर्च के अनुसार यह दावा किया गया है कि बेसमेंट में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जो कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है। कार्बन डाइऑक्साइड ताज महल की दीवारों या मार्बल्स को नुकसान पहुंचाता है क्योंकि यह मार्बल्स को पाउडर में बदल देता है।  यही वजह है कि इन कमरों को लोगों के लिए बंद कर दिया गया। लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार ये कमरे आज भी रखरखाव के लिए खोले जाते हैं।

  • S S VERMA

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