रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के रक्षा मंत्री हटा दिया है.
रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु उनके दोस्त हैं लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है.
68 साल के शोइगु 2012 से ही रूस के रक्षा मंत्री है. उन्हें अब रूस की सुरक्षा परिषद का सचिव बनाया जा सकता है.
क्रेमलिन ने कहा है कि रक्षा मंत्री को ‘इनोवेटिव’ होने की जरूरत है.रूसी संसद के ऊपरी सदन की ओर प्रकाशित दस्तावेजों के मुताबिक़ शोइगु की जगह अब उप प्रधानमंत्री एंद्रेई बेलोसोव को रक्षा मंत्री बनाया जा सकता है.
शोइगु यूक्रेन के साथ रूस की जंग में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
रूस की सरकार के दस्तावेज बताते हैं कि पुतिन चाहते हैं कि शोगुई निकोलाई पत्रुशेव ताकतवर मानी जाने वाली सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी संभालें. हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि उन्हें क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
शोइगु के राष्ट्रपति पुतिन से काफी अच्छे संबंध हैं. अक्सर वो पुतिन के साथ फिशिंग ट्रिप पर जाते देखे गए हैं.
शोइगु का कोई फौजी बैकग्राउंड नहीं है लेकिन उन्हें रक्षा मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्हें पुतिन सरकार के अहम मंत्रियों में शुमार किया गया
पुतिन के करीबी दोस्त रहे हैं हटाए गए रक्षा मंत्री
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शोइगु पेशे से इंजीनियर हैं. 1990 के दशक में वो इमरेंजेसी और डिजास्टर रिलीफ मंत्रालय में थे. उस दौरान उनके काम की काफी तारीफ हुई.
बीबीसी के यूरोप मामलों के विशेषज्ञ डैनी एबरहार्ड कहते हैं कि रक्षा मंत्री के तौर पर वो अक्सर निष्प्रभावी रहे. खास कर यूक्रेन पर रूस के हमलों के दौरान उनके अनुभव का असर नहीं दिखा.
साल 2023 में वो युद्ध में रूस के रुख को लेकर प्राइवेट मिलिट्री वैगनर के चीफ येवेगेनी प्रिगोज़िन से सार्वजनिक मंच पर भिड़ गए थे.
मॉस्को के ख़िलाफ़ थोड़े समय के लिए बागी तेवर अपनाने वाल प्रिगोज़िन उन्होंने बेतरतीब शख़्स और बूढ़ा जोकर कहा था. प्रिगोज़िन का ये ऑडियो वायरल हो गया था.
अगस्त 2023 में प्रिगोज़िन की सेंट पीटर्सबर्ग से मॉस्को जाते वक्त प्लेन क्रैश में मौत हो गई. हालांकि क्रेमलिन ने इस बात से इनकार किया है इसमें उसका हाथ है.
शोइगु की जगह जिन्हें लाने की चर्चा है उनका नाम बेलोशोव है. वो अर्थशास्त्री हैं और सेना से जुड़े मामलों में उनका अनुभव कम है. ऐसे में उनका रक्षा मंत्री बनना लोगों को चौंका सकता है.
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन का ये कदम युद्ध के मोर्चे पर उसकी कोशिशों और अर्थव्यवस्था में तालमेल बिठाने की कोशिश का नतीजा है.
क्रेमलिन के प्रेस प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव का कहना है कि एक रक्षा मंत्री के तौर पर किसी सिविलयन की नियुक्ति यह दिखाता है इस तरह के मामलों में ‘इनोवेशन’ की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि रूस 1980 के दशक के मध्य के सोवियत संघ की तरह होता जा रहा है. उस समय जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा रक्षा मामलों पर खर्च होता था.
इसलिए ये जरूरी था कि रक्षा मामलों पर होने वाला खर्च रूस की अर्थव्यवस्था से तालमेल बिठा सके.
उन्होंने कहा जो देश इनोवेशन पर ज्यादा ध्यान देंगे उनके युद्ध में जीतने की ज्यादा संभावना होगी.