भारत और ईरान ने सोमवार को एक ऐसा समझौता किया है, जिसे पाकिस्तान और चीन के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत और ईरान ने ये समझौता चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के संचालन के लिए किया है.
शाहिद बेहेस्ती ईरान का दूसरा सबसे अहम बंदरगाह है.
ये समझौता इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ ईरान के बीच हुआ है.भारत के जहाज़रानी मंत्री सरबानंद सोनोवाल ने ईरान पहुंचकर अपने ईरानी समकक्ष के साथ इस अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं
पाकिस्तान और चीन ईरानी सरहद के क़रीब ग्वादर पोर्ट को विकसित कर रहे हैं. भारत, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान को जोड़ने वाले चाबहार पोर्ट को ग्वादर पोर्ट के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है.
लंबी अवधि का ये समझौता दस साल के लिए है और इसके बाद ये ख़ुद ही आगे बढ़ जाएगा.
साल 2016 में ईरान और भारत के बीच शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के संचालन के लिए समझौता हुआ था. नए समझौते को 2016 समझौते का ही नया रूप बताया जा रहा है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि इस समझौते से पोर्ट में बड़े निवेश का रास्ता खुलेगा.
समझौते के बारे में भारत ने क्या बताया?
विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, ये समझौता क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा और अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशिया के लिए रास्ते खोलेगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, इस समझौते के तहत इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड क़रीब 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी. इस निवेश के अतिरिक्त 250 मिलियन डॉलर की वित्तीय मदद की जाएगी. इससे ये समझौता क़रीब 370 मिलियन डॉलर का हो जाएगा.
इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड ने इस पोर्ट का संचालन सबसे पहले 2018 के आख़िर में शुरू किया था.
इस समझौते के लिए दोनों देशों के बीच पिछले तीन साल से वार्ता चल रही थी.
भारत ईरान के चाबहार बंदरगाह के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया तक अपनी पहुंच को और आसान करना चाहता है.
यह बंदरगाह भारत के रणनीतिक और कूटनीतिक हितों के लिए भी बेहद अहम है.
भारत और ईरान के बीच ये समझौता ऐसे दौर के बाद हुआ है, जब दोनों देशों के बीच चाबहार पोर्ट के मुद्दे पर दूरियां देखने को मिली थीं.