क्षिका अफ़्रीका में इस महीने के आख़िर में चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में यहां के लोगों में हिंसक अपराध को लेकर चिंताएं हैं. यहां के राजनेता अपराधों पर लगाम कसने को लेकर तरह-तरह के वादे कर रहे हैं.
हत्या की दर पिछले 20 साल के उच्चतम स्तर पर है. ऐसे में बीबीसी अफ़्रीका आई ने उन लोगों के बारे में जाना, जो अपराध के ख़िलाफ़ अपने तरीक़े से लड़ रहे हैं.
जैसे ही आसमान में सीटियों की गूंज सुनाई देती है, पीले और नारंगी रंग के हाई-विज़ जैकेट पहने लोग दौड़ पड़ते हैं.
‘हे भगवान’, ज़मीन पर गिरे हुए पुलिसकर्मी को देखकर कोई चिल्लाता है. पुलिसकर्मी को गोली लगी है.
ये दक्षिण अफ़्रीका में जोहानिसबर्ग के बाहरी इलाके़ में स्थित एक शहर डीपस्लूट की शुक्रवार की रात है.
41 साल के वॉलंटियर एबेल रैपलेगो कहते हैं कि यहां अक्सर ऐसा होता है. शाम ढलने के बाद हर रात एबेल अपनी टीम के साथ गश्त करते हैं.
पुलिस की गाड़ी ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया.
गाड़ी को देखकर एबेल चिल्लाकर कहते हैं, ”पेट्रोलर्स रास्ते से हट जाओ, पुलिस को अपना काम करने के लिए समय दो.”
घायल पुलिसकर्मी का नाम टॉम माशेले था, 38 साल के टॉम को अस्पताल ले जाया गया लेकिन कुछ हफ्ते बाद ही उनकी मौत हो गई.
इस हत्या के मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई, ये घटना तब घटी थी जब वो ड्यूटी पर नहीं थे.
ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, दक्षिण अफ़्रीका उन देशों में से एक है जहां दुनियाभर में हत्या की दर सबसे ज़्यादा है. पिछले साल यहां 27 हज़ार से ज़्यादा हत्याएं हुईं.
इसका मतलब ये है कि हर 1 लाख में से 45 लोगों की हत्या. तुलना के लिए ये बता दें कि अमेरिका में ये आंकड़ा 1 लाख पर 6 लोगों का है.
एबेल रैपलेगो का कहना है कि अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उनके पास एकमात्र तरीक़ा ये है कि अपने समुदाय को बचाने के लिए वो गश्त करें. वो कहते हैं कि इसमें जान का ख़तरा है क्योंकि ”डीपस्लूट पूरी तरह से अपराधियों के हाथ में है.”
पेट्रोलिंग करने वाले वॉलंटियर्स की टीम पुलिस के साथ मिलकर काम करती है.
ये एक अनाधिकारिक समझौता है, क्योंकि वॉलंटियर जो कुछ कर रहे हैं उसके लिए उन्हें आधिकारिक मंज़ूरी नहीं मिली है. किसी को भी इसके लिए सैलरी नहीं मिलती और वो बंदूक़ लेकर नहीं चलते. लेकिन उनके पास स्जैमबॉक होता है, जो कि चमड़े का एक चाबुक होता है.
रैपलेगो कहते हैं, ”हम रोक रहे हैं तलाशी ले रहे हैं और अगर आप एक अपराधी हैं और हमारी बात नहीं मानेंगे तो आप पर स्जैमबॉक पड़ेगा.”
इन वॉलंटियर्स के पास किसी को रोकने या तलाशी लेने का क़ानूनी अधिकार नहीं होता है लेकिन इसके बावजूद ये एक सड़क से दूसरी सड़क जाकर देर रात निकलने वाले किसी भी शख़्स से पूछताछ करते हैं.
जैसे ही ये टीम एक दुकान से होकर निकलती है, उस दुकान का मालिक कहता है कि उनके साथ अभी-अभी लूटपाट हुई है. वॉलंटियर्स, एक शख़्स को भागते हुए देखते हैं और उसे पकड़ लेते हैं. वो उससे लूटे गए फोन और पैसे के बारे मे पूछते हैं.
उस शख़्स को वॉलंटियर्स, स्जैमबॉक से मारते हैं, जो अपने आप में एक अपराध है. इस बात का कोई सबूत नहीं था कि उस शख़्स ने कुछ गलत किया है, इसलिए वो उसे जाने देते हैं.
ख़ुद को जोख़िम में डाल रहे हैं युवा
जब वॉलंटियर्स की टीम से ये पूछा जाता है कि आख़िर उन्हें ऐसा करने का अधिकार किसने दिया. रैपलेगो इस मारपीट का बचाव करते हुए कहते हैं, ”याद रखिए डीपस्लूट हमारी जगह है अगर हम डीपस्लूट को ठीक नहीं करेंगे तो कोई नहीं करेगा.”
दक्षिण अफ़्रीका के अपराध के आंकड़ें बताते हैं कि हत्या के शिकार ज़्यादातर काले युवा हैं और वॉलंटियर्स भी ख़ुद को जोख़िम में डाल रहे हैं.
दो साल पहले, 21 साल के अल्फ़ा रिखोट्सो की पेट्रोलिंग के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
उनके पिता, डेविड रिखोट्सो कहते हैं, ”मैं हालात को स्वीकार करने की कोशिश करता हूं लेकिन ये अब भी दर्दनाक है.”
”वो अपनी ज़िंदगी बचाना चाहता था, मेरी और अपने परिवार की भी. वो अपराध के ख़िलाफ़ लड़ रहा था.”
जब वॉलंटियर्स की टीम को आपराधिक गतिविधि के बारे में पता चला तो सीटी बजाई गई, और अल्फ़ा उस जगह पर पहुंचने वाले पहले सदस्य थे. उन्होंने अपराधी को पकड़ भी लिया था. लेकिन उनके हाथ में गोली लग गई.
वो ज़ख़्म बर्दाश्त नहीं कर पाए. लेकिन इस हत्या के लिए भी कोई पकड़ा नहीं गया, ठीक वैसे ही जैसे पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई.
डेविड, बीबीसी अफ़्रीका आई की टीम को बताते हैं, ”हर रोज़ लोग लूटे जाते हैं. हर दिन यहां लोग मर रहे हैं. मैं दिन रात उनकी (पेट्रोलर्स) सलामती की दुआ करता हूं. यहां नियम-क़ानून की कोई जगह ही नहीं है.”.
हिंसक अपराधों की वजह से यहां की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुक़सान होता है.
वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक़, दक्षिण अफ़्रीका में हिंसक अपराधों की वजह से क़रीब 40 बिलियन यूएस डॉलर का नुक़सान होता है. ये देश की जीडीपी का क़रीब 10 फ़ीसद है.