देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के घाटकोपर में हुए होर्डिंग हादसे ने मुंबई समेत देश को हिलाकर रख दिया है. इस हादसे में 16 लोगों की मौत हुई है और कई घायल हुए हैं.
13 मई को मुंबई में मौसम गर्म था. अचानक आए तूफ़ान और उसके साथ हुई बारिश की वजह से रास्ते में फंसे लोगों ने पेट्रोल पंप पर शरण ली.
इनमें से कई लोगों ने हादसे में अपनी जान गंवा दी.
बारिश रुकने का इंतज़ार कर रहे इन लोगों ने शायद ही सोचा होगा कि उनके ऊपर कोई बिलबोर्ड अचानक गिर जाएगा, उन्हें इससे बाहर निकलने का मौक़ा नहीं मिलेगा और उन्हें मौके़ पर ही जान गंवानी पड़ेगी.13 मई को शाम क़रीब 4.30 बजे मुंबई का तापमान अचानक गिर गया और तेज़ हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई. इस मामले में विज्ञापन कंपनी के मालिक भावेश भिंडे के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
13 मई की शाम को अचानक चली तेज़ हवा और बारिश ने मुंबईकरों के रोज़मर्रा के जीवन को बाधित कर दिया. तेज़ रफ़्तार से चलने वाली मुंबई थम गई.
एक तरफ मध्य रेलवे और हार्बर ट्रेनें देरी से चलने लगीं तो दूसरी तरफ़ सुरक्षा के लिहाज़ से मुंबई का वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे बंद करना पड़ा.
इस बीच कई लोगों ने बारिश से बचने के लिए ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर पेट्रोल पंप की छत के नीचे शरण ली.
इस पेट्रोल पंप पर आमतौर पर भी भीड़ रहती है. यहां कई गाड़ियों और ट्रकों की तेल और सीएनजी भरवाने के लिए पहले से ही कतार लगी थी.
अचानक शाम क़रीब 5 बजे पेट्रोल पंप के बगल में 120×120 वर्ग फ़ुट का होर्डिंग नीचे गिर गया.
पेट्रोल पंप की छत के पास खड़े कुछ लोग तुरंत भागने लगे, लेकिन 100 से ज़्यादा लोग बाहर नहीं निकल पाए. एक पल में होर्डिंग गिर गई और वहां जमा भीड़ उसके नीचे आ गई.
होर्डिंग गिरता देख वहां खड़े कुछ लोग भागने लगे. कुछ भागने में कामयाब रहे लेकिन जो लोग अपनी गाड़ियों में थे या टू-व्हिलरों पर सवार थे, उन्हें ये मौक़ा नहीं मिल सका.
होर्डिंग के गिरते ही पुलिस, एंबुलेंस, फ़ायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ़ की गाड़ियां घटनास्थल की तरफ़ दौड़ने लगीं. आपात सेवाओं को अंदाज़ा हो गया था कि ये कोई मामूली दुर्घटना नहीं है.
एक-एक करके लोगों को स्ट्रेचर पर उठाकर पास की एंबुलेंस में भेजा जा रहा था. मामूली रूप से घायल लोग फ़र्स्ट एड लेने के बाद अपने घरों को चले गए, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को गंभीर चोटें आईं थीं.
घायलों में कई लोगों को टांके लगे, उनके हाथ और पैर में फ्रैक्चर हुआ, कुछ को न्यूरोसर्जरी की आवश्यकता थी. 16 लोगों की मौत हो गई.
एजेंसियों को मलबा हटाने में भी समय लग रहा था क्योंकि होर्डिंग का स्टैंड पूरी तरह से लोहे का था.
अंदर फंसे कई लोगों को कई घंटों की मशक्कत के बाद ही बाहर निकाला जा सका.
आख़िरकार क़रीब तीन दिन बाद 16 मई की दोपहर को बीएमसी ने घोषणा की कि रेस्क्यू ऑपरेशन ख़त्म हो गया है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी, स्थानीय जन प्रतिनिधियों और कुछ मंत्रियों ने घटनास्थल का दौरा किया.
तुरंत ही घटना की जांच के भी आदेश दे दिए गए. सरकार ने मारे गए लोगों के परिजनों के लिए पांच लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा भी की.
इस बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया कि घटना के लिए कौन जिम्मेदार है.
जल्द ही यह भी स्पष्ट हो गया था कि गिरे हुए होर्डिंग को लगाने के लिए नगरपालिका से ज़रूरी लाइसेंस नहीं लिया गया था.
तब तक विज्ञापन कंपनी के मालिक भावेश भिंडे के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हो चुका था.